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दिल्ली सरकार के पास 14,346 करोड़ का सरप्लस बजट; फिर RRTS के लिए पैसा क्यों नहीं दे रहे केजरीवाल?

अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली AAP सरकार ने विज्ञापनों पर 839 करोड़ रुपये खर्च किया। वहीं दूसरी तरफ उनका कहना है कि इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए पैसे नहीं हैं। दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल परियोजना अटकी हुई है क्योंकि AAP इसे पूरा करने के लिए ‘फंड की कमी’ का रोना रो रही है।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को पिछले 3 वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर किए गए खर्च का हिसाब देने का निर्देश दिया। यह आदेश दिल्ली सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को पड़ोसी राज्यों से जोड़ने वाले आगामी आरआरटीएस कॉरिडोर के लिए अपर्याप्त धन का दावा करने के बाद आया है।

वहीं टाइम्स नाउ ने दावा किया है कि उनके पास जो डॉक्यूमेंट हाथ लगा है उसके हिसाब से 2019-20 में दिल्ली सरकार के बजट में 5900 करोड़ रुपए सरप्लस था। वहीं 2020-21 में 11000 करोड़ का सरप्लस बजट था और 2022-23 में यह आंकड़ा 14,346 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।

इस डॉक्यूमेंट के आने के बाद सवाल उठता है कि इतना सरप्लस बजट होने के बाद भी 415 करोड़ रुपए जो जनता के भलाई में लगने हैं वो क्यों नहीं देना चाह रही है केजरीवाल सरकार? सोशल मीडिया में यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल शीशमहल बना सकते हैं मगर जनता के लिए जो रेलवे सुविधाएं आनी है उसमें पैसा नहीं दे सकते।

आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम के RRTS के तीन रैपिड रेल कॉरिडोर बनने हैं। इनमें से एक RRTS दिल्ली-गाजियाबाद मेरठ को जोड़ने वाला है जो कि 82.15 किलोमीटर लंबा, रेल कॉरिडोर है। इसके पूरा होने के बाद दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी 60 मिनट से कम समय में पूरी हो सकेगी। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 3,749 मिलियन डॉलर है।

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