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केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार: किसकी जा सकती है कुर्सी, किसको मिलेगा मंत्री पद? जानिए क्या है मोदी सरकार के नए कैबिनेट की संभावना

मोदी सरकार की कैबिनेट की अटकलें लगातार जोरों पर हैं। सूत्रों के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मंत्रिपरिषद के साथ इस बाबत लगातार तीन दिन से बैठकें चल रही हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इन बैठकों में मंत्रिमंडल में फेरबदल पर अंतिम मुहर लग सकती है।

सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी मिशन 2024 के लिए एनडीए के पुराने सहयोगियों को भी साध रही है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल फेरबदल में शिरोमणि अकाली दल, तेलुगु देशम पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट), राष्ट्रीय लोक जनता दल जैसे पुराने सहयोगियों को मौका मिल सकता है। हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई में विपक्षी एकता की पटना में बैठक हुई थी। इस बैठक से बाद से बीजेपी मिशन 2024 के लिए हर रणनीति को आजमाना शुरू कर चुकी है।

दरअसल, बीजेपी 2024 में किसी किंतु-परंतु में नहीं रहना चाहती है। इसके लिए विपक्षी एकता की तोड़ के लिए पार्टी अपने पुराने सहयोगियों से संपर्क साध रही है और उसे अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। सूत्र ये भी कह रहे हैं कि इन दलों को एनडीए में शामिल करने के ऐवज में मोदी सरकार इनाम भी देगी। और ये इनाम मंत्रिमंडल में शामिल करने के रूप में हो सकता है।

इस्तीफा दे सकते हैं जी किशन रेड्डी

सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आ रही है की केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी कैबिनेट विस्तार से पहले इस्तीफा दे सकते हैं। बीजेपी उन्हें तेलंगाना में बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकती है।

किसपर संकट, किसकी एंट्री?

मोदी कैबिनेट विस्तार की क्रोनोलॉजी देखें तो इसमें एक चीज साफ है। विस्तार के बाद जिन राज्यों में चुनाव होने होते हैं, वहां के नेताओं को तरजीह मिलती है, जबकि चुनाव संपन्न राज्यों के मंत्रियों का पत्ता कटता है। पिछले विस्तार में गुजरात-यूपी को खास तवज्जो मिली थी।

ऐसे में इस संभावित फेरबदल में माना जा रहा है कि गुजरात कोटे के कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है। वर्तमान में गुजरात से प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला, दर्शना जरदोस, देवूसिंह चौहाण और महेन्द्र मुंजपरा मंत्री हैं।

गुजरात कोटे के मंत्रियों की अगर छंटनी होती है, तो मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला और दर्शना जरदोश की कुर्सी पर अधिक खतरा है। मांडविया के पास स्वास्थ्य, रूपाला के पास पशुपालन व डेयरी और जरदोश के पास रेलवे (राज्य मंत्री) विभाग है। मोदी कैबिनेट में पिछले 9 साल में 2 स्वास्थ्य मंत्री हटाए जा चुके हैं।

सूत्रों के अनुसार गुजरात से मोदी कैबिनेट में सीआर पाटिल को शामिल किए जाने की चर्चा तेज है। हाल के गुजरात चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत में पाटिल ने बड़ी भूमिका निभाई थी। 2020 नवासारी के सांसद पाटिल को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी।

गोयल-प्रधान को संगठन में भेजे जाने की चर्चा

सूत्र ये भी कहते हैं की कैबिनेट से पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव के मद्देनजर संगठन में भेजा जा सकता है। सियासी गलियारों में दोनों को संगठन में भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है। गोयल के पास खाद्य एवं आपूर्ति और प्रधान के पास शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है।

पीयूष गोयल को अगर कैबिनेट से हटाया जाता है, तो उन्हें राजस्थान बीजेपी का प्रभार मिल सकता है। गोयल पिछले 15 दिन में 3 बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं. राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह के पास मुख्यालय का भी प्रभार है। वहीं कैबिनेट से अगर धर्मेंद्र प्रधान की छुट्टी होती है, तो उन्हें यूपी बीजेपी का प्रभारी बनाया जा सकता है। यूपी का प्रभार अभी राधामोहन सिंह के पास है। 2022 के चुनाव में प्रधान यूपी के चुनाव प्रभारी थे।

2019 के चुनाव से पहले जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था। नड्डा को उस वक्त कैबिनेट से हटाकर यूपी की कमान दी गई थी। 2019 के चुनाव के बाद संगठन में उनका प्रमोशन हुआ और पहले कार्यकारी और फिर पूर्णकालिक अध्यक्ष बने।

बिहार-यूपी के मंत्रियों पर भी संकट?

मोदी कैबिनेट के फेरबदल में बिहार-यूपी के मंत्रियों का भी पत्ता कट सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार और यूपी से 20 मंत्री हैं। बताया जा रहा है की बिहार से अश्विनी चौबे, पशुपति पारस और आरके सिंह की कुर्सी खतरे में है। तीनों में से कम से कम 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है। पिछले कैबिनेट विस्तार में ही चौबे को हटाए जाने की चर्चा थी, लेकिन अंतिम वक्त में उनका सिर्फ विभाग बदला था।

उर्जा मंत्री आरके सिंह की भी कुर्सी पर संकट है। फरवरी 2023 में सिंह का एक कथित वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सिंह फाइल रोके जाने पर प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने की बात कर रहे थे। वहीं बीजेपी के चिराग प्रेम से पारस की कुर्सी पर भी संकट है। 2021 में लोजपा तोड़ने के बाद पशुपति पारस को मंत्री बनाया गया था। सूत्रों के अनुसार बिहार से चिराग पासवान की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है, जबकि बीजेपी से संजय जायसवाल, अजय निषाद और राम कृपाल यादव में से एक को मंत्री बनाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश से महेंद्र नाथ पांडेय, अजय मिश्र टेनी समेत 4 मंत्रियों की कुर्सी खतरे में है। पांडेय का विभाग भारी उद्योग पर शिवसेना का दावा रहा है। यूपी कोटे से संजीव बालियान का कद बढ़ाया जा सकता है।

पांडेय और टेनी का पत्ता कटता है, तो उनकी जगह ब्राह्मणों को साधने के लिए लक्ष्मीकांत वाजपेयी या हरिश द्विवेदी को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वाजपेयी और द्विवेदी दोनों अभी राष्ट्रीय संगठन में कार्यरत हैं।

महाराष्ट्र-कर्नाटक कोटे के मंत्रियों पर भी संकट

मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र से अभी 8 मंत्री हैं। इनमें नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, नारायण राणे और रामदास आठवले का नाम प्रमुख हैं। महाराष्ट्र से शिंदे गुट ने 3 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल का प्रस्ताव दिया है। अगर यह प्रस्ताव माना जाता है, तो बीजेपी अपने कोटे से कुछ मंत्रियों को बाहर कर सकती है।

बीजेपी के नए समीकरण में भारती पवार, राव साहेब दानवे और नारायण राणे की कुर्सी भी जा सकती है। महाराष्ट्र में शिंदे गुट से राहुल सेवाले और कृपाल तुमाने की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है।

बात कर्नाटक की करें तो यहां से 6 मंत्री मोदी कैबिनेट में शामिल हैं। इनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी का नाम प्रमुख है। कर्नाटक के 6 में से 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री शोभा करंदजाले के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा जोरों पर है।

कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद से ही बीजेपी नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है। मोदी कैबिनेट में कर्नाटक के साथ-साथ तेलंगाना और तमिलनाडु की भी भागीदारी बढ़ सकती है। तेलंगाना से एक और तमिलनाडु से 2 मंत्री बनाए जा सकते हैं। तमिलनाडु में सहयोगी एआईएडीएमके को एक मंत्री पद दिया जा सकता है। एआईएडीएमके कोटे से एम थंबीदुरई मंत्री बनाए जा सकते हैं। तेलंगाना से मंत्री बनने की रेस में सोयम बापू राव और धर्मपुरी अरविंद का नाम रेस में सबसे आगे है।

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Vipin Srivastava
Vipin Srivastava
journalist, writer @jankibaat1

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