देश में नागरिकता संशोधन कानून लाने के बाद एक अलग बवाल शुरू हो गया है, दिल्ली का शाहीन बाग़ इलाका इसमे अधिक चर्चा मे आया।
नागरिकता संशोधन कानून के गलत मायने निकाल कर, पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों का उग्र प्रदर्शन, फिर उसके बाद दिल्ली के शाहीन बाग इलाके को जबरन बंद करके धरने पर बैठना। इन सब का दिल्ली चुनावों से क्या लेना देना था, ये समझने के लिए जन की बात की टीम ने दिल्ली चुनाव सर्वेक्षण के दौरान, जनता से इसके बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि, इसका जनता के बीच इसको लेकर काफी नाराज़गी है।
प्रथम अवस्थी, किराड़ी
हीन बाग की वजह से हम जैसे आफिस जाने वाले लोगो को कितनी मुश्किल हो रही है, मगर इन लोगों को कौन समझाए। इनको शांत करने और हटाने के बजाए दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ये कहकर की हम उनके साथ हैं, परेशान हो रही जनता का गुस्सा अपनी ओर मोड़ लिया है। ऊपर से जब दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अंदर काम करती है, तो क्या केंद्र सरकार को नही चाहिए कि उन लोगो को वहाँ से हटवाएं। मगर कोई कुछ नही कर रहा, हाँ रहा सवाल चुनाव पर इसके असर का, तो इस दिल्ली चुनावों में ये एक बड़ा मुद्दा तो बन ही गया है, और लोग इसकी वजह से बीजेपी को वोट करने के बारे में सोच भी रहे हैं।
(अनुराग पूरी, शालीमार बाग)
देखिये शाहीन बाग एक मुद्दा बन गया है। लोगों को पहले पता नहीं था, अब मीडिया में ये मुद्दा इतना ज्यादा चल गया कि सब लोगों इसे जानने लगे। भले ही यह चुनाव में मुद्दा बन गया, लेकिन इस पर वोटिंग नहीं होगी। लोग इसकी बात कर रहे हैं, यह सही है। अब वोट तो काम के आधार पर ही मिलेगा या फिर पसंद के आधार पर। कोई पार्टी किसी की पसंद हो सकती है। दिल्ली में केवल दो ही पार्टी चुनाव में दिख रही हैं। एक भाजपा और दूसरी आप। कांग्रेस का कुछ पता नहीं, क्या चल रहा है। रहा सवाल शाहीन बाग के गलत या सही होने का तो ये बिलकुल गलत है, आपको प्रदर्शन करना है तो जंतर मंतर जाओ, रामलीला मैदान जाओ मगर ऐसे बीच रोड पर बैठना और आम जनता को परेशान करना बिलकुल ठीक नही है।
नीरज सोनी, महिपालपुर:
यह बात सही है कि शाहीन बाग दिल्ली चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बना दिया गया है। पहले कुछ नहीं था, मगर अब भाजपा 20-25 तक पहुंच सकती है। खैर ये चुनाव ही बताएगा। हम तो इतना ही कह सकते हैं कि शाहीन बाग, सभी लोगों तक पहुंच रहा है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो पहले केजरीवाल की ओर जा रहे थे, लेकिन भाजपा ने शाहीन बाग को ऐसे आगे बढ़ाया कि लोगों ने अपना मन बदल लिया। वे तय कर चुके हैं कि अब इस ओर जाना है। हालांकि ये प्रदर्शन तो गलत है ही। दूसरे लोगों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शन करना है, तो कहीं और चले जाओ। किसने रोका है। ऐसे लोगों पर नकेल भी जरूरी है। इस चुनाव में अब काम तो कोई मुद्दा है ही नहीं। कोई शाहीन बाग लिए है तो कोई फ्री देने लगा है। अरे फ्री का कोई मोल नहीं होता।