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विपक्ष की 12 जून को होने वाली मीटिंग टली; कांग्रेस और स्टालिन बने वजह, अब इस तारीख को जुटेंगी सभी पार्टियां

नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की एकता पर चर्चा के लिए बुलाई गई विपक्षी पार्टियों की पहली बैठक जो 12 जून को होने वाली थी, अब 23 जून को होने की संभावना है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल-युनाइटेड के नेता नीतीश कुमार, जो 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ गठबंधन बनाने के लिए सभी समान विचारधारा वाले दलों को एकजुट करने के अभियान की अगुवाई कर रहे हैं, ने 12 जून को पटना में पहली बैठक बुलाई थी।

हालांकि, रविवार को एक सूत्र ने बताया कि कांग्रेस, डीएमके, माकपा के अनुरोध को देखते हुए अब बैठक की तारीख 23 जून तय की गई है। इससे पहले एक सूत्र ने कहा था कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व डीएमके नेता एम.के. स्टालिन और कांग्रेस ने भी बिहार के मुख्यमंत्री से बैठक की तारीख आगे बढ़ाने का अनुरोध किया। हालांकि, विपक्षी दलों की 12 जून को पहले से तय बैठक में शामिल होने का अनुरोध कांग्रेस ने स्वीकार कर लिया था।

नीतीश कुमार, उनके डिप्टी और राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ अप्रैल और मई में पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिल चुके थे।

कांग्रेस नेताओं के अलावा, जनता दल-युनाइटेड के नेता ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा से भी मुलाकात की है। नेता डी. राजा, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी नेता नवीन पटनायक, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और अन्य सभी समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने के प्रयास में हैं।

यह भी संकेत है कि अगली बैठक के लिए सुनिश्चित किया जा रहा है क‍ि सारे दलों के अध्यक्ष और प्रमुख नेता उपस्थित रहें, ताकि कोई महत्वपूर्ण निर्णय पर पहुंचा जा सके। राहुल चाहते हैं कि प्रारंभिक बैठक के बाद दो-तीन दिनों का एक सत्र अलग से भी होना चाहिए, ताकि सारे मुद्दों पर सभी दलों से बातचीत की जा सके।

केसी त्यागी ने बताया कि को बैठक को किसी निष्कर्ष पर पहुंचाने के लिए दो-तीन तरह की समितियां बनाने की भी तैयारी है। क्षेत्रीय अस्तित्व में वृद्धि और विभिन्न मुद्दों को लेकर आगे बढ़ रहे दलों को एक साथ लाना आसान नहीं होगा। ऐसे में संयुक्त घोषणा पत्र और समन्वय समिति की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता। नीतीश कुमार समन्वयक की भूमिका के लिए सबसे महत्वपूर्ण पात्र साबित होंगे। त्यागी का तर्क है कि लालू प्रसाद को छोड़कर कांग्रेस से सभी दलों के रिश्ते पूरी तरह सहज नहीं हैं।

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