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चीन की चुनौती को देखते हुए, भारत को विकसित और विकासशील देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करने चाहिए : डॉ अरविंद पानगड़िया

जन की बात के फाउंडर प्रदीप भंडारी ने ट्विटर पर साक्षात्कार सीरीज के तहत, 14 वे साक्षात्कार नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और वर्तमान में अमेरिका में कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगरिया के साथ किया। इस साक्षात्कार में प्रदीप भंडारी ने लॉकडाउन के बाद देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। इस पर विस्तार से चर्चा की।

प्रदीप भंडारी जी ने पहला सवाल पूछा कि जिस तरह से बड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसी भारत की जीडीपी के इस वर्ष कोरोना के कारण घटने का अनुमान लगा रही है, इस पर आपकी क्या राय है? कोरोना वायरस के कारण एक अस्थिरता का वातावरण बना है। कोरोना वायरस की वैक्सीन का स्टेटस सितंबर और अक्टूबर तक पता चल जाएगा। जिसके बाद हम जीडीपी की ग्रोथ में एक बड़ी वृद्धि देखेंगे।

जिस तरह से भारत चीन सीमा पर तनाव की स्थिति है, इसके साथ ही भारत और चीन का जो व्यापारिक घाटा है उसे कैसे कम किया का सकता है? चीन भारत की अपेक्षा 5 गुना ज्यादा बड़ी अर्थव्यवस्था है। जहां तक व्यापारिक घाटे की बात है। भारत को कुल करंट अकाउंट डेफिसिट पर ध्यान देना चाहिए। चीन का भारत को निर्यात उसके कुल निर्यात का 3.1 % है। जबकि भारत का चीन को निर्यात कुल निर्यात का 5.8% है। भारत को यहां पर ध्यान 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने पर देना चाहिए।

अगला सवाल पूछा कि जिस तरह से दुनिया में दो बड़े पावर सेंटर्स चीन और अमेरिका उभर कर आ रहे है, भारत के लिए आगे क्या रास्ता होना चाहिए? भारत को इस समय क्वाड देशों के साथ अपने संबंधों को विस्तार देना चाहिए। भारत को लाइक माइंडेड डेवलप्ड देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर भी ध्यान देना चाहिए, और अमेरिका, यूरोप , यूके, कनाडा जैसे देशों को इसमें पहले वरीयता देनी चाहिए। इससे हम चीन को एक बड़ा संकेत दे सकते है।

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